“लोग क्या कहेंगे ? हम रिश्तेदारों और समाज को क्या मुंह दिखाएंगे ? इसने हमारी इज्जत पर दाग लगा दिया है।” आदि ऐसे अनेक वाक्य हैं जो हमें आम तौर पर सुनने को मिलते हैं। खासकर तब जब घर के किसी सदस्य ने कुछ ऐसा काम किया हो , जो समाज की नज़रों में सही नहीं हो। हर परिवार में बच्चों को शरुआत से ही समाज के कानूनों का एक उलझा रूप समझाया जाता है। क्या सही है और क्या गलत उसका पाठ पढ़ाया जाता है। ताकि बच्चे समाज में परिवार की इज्जत बनाए रखें।खासकर लड़कियों से उम्मीद की जाती है कि वो हमेशा अपने विचारों को अपने परिवार की इज्जत से कम महत्व दें।लेकिन यदि कोई ऐसा करने में असफल हो जाता है तो परिवार वाले समाज के तथाकथित नियमों और बेज्जती के डर से उसे मौत के मुंह में धकेलने से भी पीछे नहीं हटते।
ऐसा ही एक मामला तेलंगाना में गदवल जिले के कालुकुंतला गांव में सामने आया जहां माता पिता ने कॉलेज में पढ़ने वाली बेटी का घर आने पर कत्ल कर दिया।वह लड़की आंध्र प्रदेश के कुर्नूल में डिग्री कोर्स कर रही थी जब लॉकडाउन लगा तो वह अपने गांव वापस आई। जहां उसके माता पिता को पता चला कि उनकी बेटी गर्भवती है। इस खबर से पूरा परिवार घबरा गया था । जब उन्होंने लड़की से बच्चे को गिराने (अबॉर्शन) करने के लिए कहा तो लड़की ने साफ मना कर दिया । इस बात पर लड़की को कई दिनों तक एक कमरे में बन्द रखा गया ताकि आस पास के लोगों को लगे की लडकी बीमार है।
घरवाले इस बात से भी डरे हुए थे कि लड़की जिससे प्रेम करती थी वह लड़का दूसरी जाति का था । इसलिए उनकी शादी भी नहीं करा सकते थे । फिर कुछ दिनों बाद भी जब लड़की नहीं मानी तो माता पिता ने मिलकर उसकी हत्या कर दी ।गांव में खबर फैला दी कि बीमारी के कारण उनकी बेटी की मौत हो गई।
जब वह बेटी के अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे तो शक होने पर किसी ने पुलिस को खबर के दी। पुलिस ने वहां के सरपंच की मदद से अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को रुकवाया और लड़की की बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया। पोस्टमार्टम में पता लग गया कि लड़की की हत्या की गई है।इसके बाद पुलिस ने लड़की के माता-पिता से सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने बेटी की हत्या की बात को स्वीकार कर लिया। पुलिस ने हत्या के मामले में माता-पिता को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
देखा जाए तो लॉकडाउन के समय भी अपराध बढ़ते जा रहे हैं। रोज ऐसी अनेक ख़बरें देखने को मिलती हैं। जहां महिलाओं या लड़कियों को समाज में मान सम्मान बनाए रखने के लिए अपनी जान गंवानी पड़ती है। आखिर कब तक समाज के तथाकथित नियमों और भेदभाव की आग में ये जलती रहेंगी।आखिर कब महिलाओं और लड़कियों को इन नियमों और भेदभाव से आजादी मिलेगी।
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