कृषि क़ानूनों के खिलाफ आरम्भ हुए किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए संघी पलटन द्वारा चलाये जा रहे कुत्सित प्रचार का उत्तर प्रदेश उत्तराखंड के किसानों ने गाजीपुर बॉर्डर पर मोर्चा खोलकर पानी फेर दिया। सिंधु बॉर्डर पर किसानों के पहुंचने के बाद से ही अपनी फितरत के मुताबिक संघ भाजपा और उसका पालतू मीडिया आंदोलन को कभी खालिस्तानियों, नक्सलियों या केवल पंजाबियों आदि का आंदोलन बता कर किसान आंदोलन को राष्ट्रविरोधी आंदोलन घोषित करने का प्रयास कर रहा था।
सिंधु बॉर्डर पर धरना आरम्भ होने के बाद ही उत्तर प्रदेश से गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के पहुँचने का सिलसिला आरम्भ हो गया था। शुरुआत में मोदी सरकार की पुलिस ने किसानों को रोकने की कोशिश की। लाठीचार्ज, वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। परन्तु किसान पीछे नहीं हटे। हार कर पुलिस ने दिल्ली बॉर्डर को बंद कर दिया और किसान वहीं धरने पर बैठ गए। किसानों ने दिल्ली जाने वाले हाइवे की दो सड़कों को जाम कर सभाएं शुरू कर दीं। तब से लेकर इस आंदोलन में प्रतिदिन भाग लेने वाले किसानों की संख्या में इजाफा हो रहा है। अब धरना स्थल पर नियमित सभा का आयोजन किया जा रहा है। धरना स्थान पर भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत, किसान सभा के केंद्रीय कमेटी सदस्य डीपी सिंह, तराई संगठन के जगतार सिंह बाजवा, तेजेन्द्र सिंह विर्क, उत्तर प्रदेश किसान सभा के संयुक्त सचिव चन्द्रपाल सिंह आदि सहित विभिन्न संगठनों के नेता व गणमान्य नागरिक आंदोलनकारियों को संबोधित करने व दिशा निदेशन का कार्य कर रहे हैं।
आंदोलन में भाग लेने के लिए अपनी ट्रैक्टर ट्रॉली लेकर आने वाले किसानों को उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड पुलिस प्रशासन जगह जगह रोककर गिरफ्तार कर रहा है।
This article was originally published by Chandrapal Singh in Trolley Times.
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