चीन एक ऐसा देश है जहां के अधिकतर लोगों का किसी भी धर्म से कोई लेना देना नहीं होता है । चीन के आधिकारिक क्षेत्र यानी की शिनजियांग क्षेत्र में उइग़र मुस्लिम काफ़ु आबादी में बसे हुए हैं। यहां की सरकार द्वारा इस जाति और इसने संबंध रखने वाले लोगों की पर कड़ी नज़र रखी जा रही है। साथ ही चीन की सरकार इस क्षेत्र से इन मुस्लिमों की आबादी कम करने में लगी हुई है । चीन का मानना है कि उनके देश में उइग़र मुसलमानों के बढ़ने से इस्लाम में रूचि बढ़ने के साथ-साथ इस्लामिकता भी बढ़ रही है। जिससे की उनके देश में आतंकवाद जन्म ले सकता है।
चीन में इस जाति के लिए इतने कठोर नियम बनाए गए हैं कि ये अपने धर्म के अनुसार कोई भी कार्य नहीं कर सकते। यहां इन्हें न रोज़ा रखने दिया जाता है और न ही कु़रान और नमाज़ पढ़ने की छूट है। यहां तक कि ये लोग अपने बच्चों का नाम मुस्लिम धर्म से संबंधित नहीं रख सकता । अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो उसे सज़ा दी जाती है।
इस समुदाय के लोग अपनी इच्छानुसार कहीं घूम भी नहीं सकते। इसके लिए उन्हें पहले सरकार से आज्ञा लेनी पड़ती है और साथ ही इनके द्वारा खरीदे गए हर सामान की भी जांच होती है।
पूरे क्षेत्र में कैमरों द्वारा इस समुदाय के कार्यों पर नज़र रखी जाती है।
चीन में इस समुदाय के साथ केवल धार्मिक क्षेत्र में ही नहीं बल्कि रोज़गार के मामले में भी भेदभाव किया जाता है। इस समुदाय के लोगों को यहां नौकरी मिल पाना अत्यंत ही कठिन है।
इतना ही नहीं चीन में पुलिस की मदद से 70 कराेड़ पुरुषाें और बच्चाें के खून के सैंपल इकट्ठे किए जा रहे हैं। इससे सरकार एक काफ़ी विस्तृत जेनेटिक मानचित्र बनाकर अपनी ताक़त को और अधिक बढ़ाने में लगी हुई है। इस ताकत का इस्तेमाल वह देश में रहने वाले उइग़र मुसलमान, तिब्बती मूल के अल्पसंख्यकों और कुछ खास समूहों को ट्रैक करने के लिए कर सकती है।चीन इस समय बड़ी ताक़त बनता जा रहा है, इसलिए किसी भी आंदोलन को आसानी से दबा सकता है। चीन इस समय अपनी ताक़त बढ़ाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।
चीन की पुलिस ने एक 100 नंबरों का नियम बना रखा है। अगर कोई भी उइग़र समुदाय का सदस्य जिसकी उम्र 15 साल से 55 साल के बीच में है और वह इस्लामिक शिक्षा ग्रहण कर रहा है तो उसके 10 पॉइंट काट लिए जाते हैं । इसी तरह से हर एक छोटी से छोटी बातों पर नियम रखे गए हैं। इन नंबरों के आधार पर ही यह फैसला लिया जाता है कि कौन से व्यक्ति, सुरक्षित, सामान्य या खतरनाक लोगों के दायरे में आता हैं। इतना ही नहीं इसी ग्रेड पर सरकार फ़ैसला लेती है कि उसे सरकार की किस योजना से वंचित रखा जायेगा या उसे यात्रा करने को मिलेगी या नहीं इत्यादि।
हाल के सालों में सुरक्षा निगरानी के कारण हुई हिंसा में शिनजियांग में सैकड़ों लोग मारे गए हैं। मानवाधिकार समूह और निर्वासित ज़िंदगी जी रहे उइग़रों ने बताया कि यह हिंसा उइग़रों की संस्कृति, धर्म और क्षेत्र पर चीनी नियंत्रण के कारण फैली निराशा के कारण हुई है। इसी कारण आतंकी गुटों द्वारा हिंसा की जा रही है।
इसके साथ ही उइग़र समुदाय के लोगों को चीन कि पुलिस डिटेंशन कैंपस में भी बंदी बनाकर रखती है । उनका जुर्म सिर्फ इतना होता है कि वो लंबी दाढ़ी और अपनी पारंपरिक पहनावे में होते हैं ।बस इतने पर ही उन्हें बन्दी बना दिया जाता है।
जिस तरह का व्यवहार चीन इस समुदाय के साथ कर रहा है वह अत्यन्त कठोर और अमानवीय है। समय समय पर चीन से ऐसे अनेक उदाहरण मिलते रहते हैं जहां उस समुदाय की महिलाओं , बच्चों और पुरुषों का शोषण किया जाता है । इस्लामिक देशों की इस मुद्दे पर चुप्पी सीधे तौर पर चीन की बढ़ती ताकत का अहसास कराती है।
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